Sunday, November 30, 2008

वेलकम टु सज्जनपुरः मल्टिप्लेक्स में महादेव


बॉलिवुड में श्याम बेनेगल की पहचान एक ऐसे फिल्म मेकर की रही है , जिसने सिनेमा को हमेशा नया आयाम दिया है। लीक से हटकर समाज में घटने वाली घटनाओं को सिल्वर स्क्रीन पर पेश करने के लिए मशहूर बेनेगल की यह फिल्म उनकी पिछली फिल्मों से बिल्कुल अलग है। इस फिल्म में उन्होंने शहर से दूर एक ऐसे गांव को दिखाया है , जहां शहरी चकाचौंध ने भले ही अपनी कुछ जगह बना ली हो , लेकिन यहां रहनेवालों की मानसिकता आज भी सदियों पुरानी है। यहां रहने वाले रिटायर्ड सूबेदार इसके खिलाफ हैं कि उसकी विधवा बहू फिर से अपनी जिंदगी शुरू करे। गांव का इकलौता पढ़ा-लिखा महादेव (श्रेयस तलपडे़) अपनी प्रेमिका कमला (अमृता राव) को चाहते हुए भी जब अपना नहीं बना पाता तो उसकी खुशियों के लिए अपनी जमीन बेच देता है। इस फिल्म में लंबे अर्से बाद आपको शहर से दूर एक गांव और वहां रहने वाले देखने को मिलेंगे। वर्ना मल्टिप्लेक्स कल्चर और कुछ नया और लीक से हटकर करने की बात कहकर ऐसी फिल्में बनने लगी हैं , जहां देश के किसी गांव की झलक दूर-दूर तक नहीं दिखती। ऐसा नहीं है कि बेनेगल ने अपनी पिछली फिल्मों की तर्ज पर इस फिल्म में कुछ नया न किया हो। इस फिल्म का हर पात्र कहीं न कहीं से समाज के किसी वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है तो वहीं अपने अलग अंदाज में उन्होंने विधवा विवाह , वोट हासिल करने के लिए कुछ भी कर गुजरने वाले नेता आदि का फिल्मांकन किया है। लेकिन एक ख्याति प्राप्त डाइरेक्टर की फिल्म में डबल मीनिंग संवाद अखरते हैं।

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