Wednesday, December 3, 2008

आतंकियों से निपटने में 60 घंटे से ज्यादा लगना शर्मनाकः गिल

अस्सी के दशक में पंजाब से आतंकवाद का सफाया करने वाले पंजाब के पूर्व डीजीपी केपीएस गिल ने कह
ा है कि यह शर्म की बात है कि चंद आतंकवादियों से निपटने में सुरक्षाबलों को 60 घंटे से ज्यादा लग गए। उन्होंने यह भी कहा कि सुरक्षाबलों की रणनीति कमजोर थी और इस पर ठीक ढंग से अमल भी नहीं किया गया। हालांकि उन्होंने यह स्वीकार किया कि ताज होटल में लोगों की मौजूदगी की वजह से सुरक्षाबलों को अपने काम को अंजाम देने में समय लगा होगा।

गिल ने केंद्र सरकार को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब खुफिया एजंसियों को हमले की भनक थी तो जल्द पुख्ता कार्रवाई क्यों नहीं की गई। उन्होंने कहा, 'खुफिया एजंसियों ने जब गृह मंत्रालय को चेताया था तो सूचना मिलते ही पुख्ता इंतजामात किए जाने चाहिए थे। पिछले कुछ अर्से से देश पर लगातार आतंकवादी हमले हो रहे हैं लिहाजा ऐसी लापरवाही नाकाबिले बर्दाश्त है।' गिल ने कहा, मुंबई पर पहले भी हमले हो चुके हैं लिहाजा सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद होनी चाहिए थी। ताज के बाहर 10 सिपाही भी तैनात होते तो आतंकवादी इतनी आसानी से उसके भीतर दाखिल नहीं हो सकते थे।'

इस हमले के बाद राजनेताओं द्वारा की जा रही बयानबाजी से क्षुब्ध इस पूर्व डीजीपी ने कहा, 'राजनीतिक दल सिर्फ अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लगे हैं। हर बार आतंकवादी हमले के बाद सख्ती से निपटने के लंबे चौड़े भाषण दिए जाते हैं, लेकिन नतीजा सिफर। ठोस कदम उठाने का बूता दिखाना जरूरी है।' उन्होंने मीडिया और आम जनता को भी आतंकवाद के सफाए के लिए आगे आने को कहा।

गिल ने यह भी कहा कि अभी भी उनकी बाजुओं में आतंकवादियों का सामना करने का दम है और अगर उन्हें इस संबंध में कोई जिम्मेदारी सौंपी जाती है तो वह तुरंत स्वीकार कर लेंगे।

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